
एक कड़वा सच जिसे हम अक्सर नजरअंदाज़ कर देते हैं…
🔍 क्या किया Prada ने?
Luxury fashion brand Prada ने हाल ही में एक leather sandal लॉन्च किया — जो दिखने में हूबहू Kolhapuri चप्पल जैसी थी।
- प्राइस? ₹1.2 लाख
- अट्रीब्यूशन? नहीं किया गया
- आउटरेज? इंडिया में सोशल मीडिया पर आग लग गई!
पर असली सवाल ये है —
हम खुद Kolhapuri चप्पल की इज़्ज़त कब करते हैं?
क्या कभी आपने उसे गर्व से पहना? गिफ्ट किया? प्रमोट किया?
📉 वो पैटर्न जो बार-बार दोहराया जाता है:
- Yoga वेस्ट में wellness ट्रेंड बना, तभी हम जागे
- Turmeric latte Starbucks में आया, तब “हल्दी दूध” कूल बन गया
- Ayurveda को वेस्टर्न ब्रांडिंग मिली, तभी हमने उसकी वैल्यू समझी
मतलब साफ है:
हम अपनी ही चीज़ों को तभी क़ीमती मानते हैं जब कोई विदेशी उसे बेचे।
🔥 Prada से ज़्यादा प्रॉब्लम हमारी सोच में है:
हम अपने artisans और culture को तभी याद करते हैं जब कोई outsider उनके काम से मुनाफा कमाता है।
हम outrage ज़रूर करते हैं —
लेकिन क्या हम local products खरीदते भी हैं?
Likes से ज़्यादा ज़रूरी है Support.
Reel बनाकर नहीं — receipt काटकर respect दिखाओ।
💡 अब क्या करना चाहिए?
- लोकल artisans को words नहीं, wallets से support करो
- अपने culture पर आधारित premium Indian brands बनाओ
- हमारी heritage को aspirational stories में बदलिए
- Modern innovation लाओ — rooted in tradition
🇮🇳 इंडिया के लिए एक मेसेज:
Culture कोई seasonal trend नहीं होता —
Pride एक daily habit होना चाहिए।
इतना invest करो अपने कारीगरों, कलाकारों और परंपरा में कि
Prada जैसे ब्रांड हमारे पीछे नहीं, हमारे साथ खड़े हों।
🛑 Bottom Line:
“अगर हम अपनी culture की respect नहीं करेंगे —
दुनिया उसे अपने logo में बदलकर बेचेगी।”
अगली बार जब कोई heritage किसी ramp पर दिखे —
खुद से पूछना: “क्या मैंने उस heritage को वहां पहुंचाने में कोई भूमिका निभाई?”
🤝 अगर ये कहानी झकझोरती है…
तो अगली बार outrage से पहले उत्साह दिखाओ।
Order दो। Original अपनाओ। Culture को celebrate करो।